मीरजापुर शहर का इतिहास
मिर्ज़ापुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है। यह मिर्ज़ापुर जिला का मुख्यालय है। पर्यटन की दृष्टि से मिर्जापुर काफी महत्वपूर्ण जिला माना जाता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक वातावरण बरबस लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। मिर्जापुर स्थित विन्ध्याचल धाम भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। इसके अतिरिक्त, यह जिला सीता कुण्ड, लाल भैरव मंदिर, मोती तालाब, टंडा जलप्रपात, विन्धाम झरना, तारकेश्‍वर महादेव, महा त्रिकोण, शिव पुर, चुनार किला, गुरूद्वारा गुरू दा बाघ और रामेश्‍वर आदि के लिए प्रसिद्ध है। मिर्जापुर वाराणसी जिले के उत्तर, सोनभद्र जिले के दक्षिण और इलाहाबाद जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है।

नाम
जनपद के नाम को लेकर कई भ्रांतियां व्याप्त हैं। कुछ प्राचीन लोककथाओं के अनुसार विंध्याचल, अरावली एवं नीलगिरी से घिरे हुए क्षेत्र को विंध्यक्षेत्र के नाम से जाना जाता है। समयांतराल विंध्यक्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों का अलग अलग नामकरण हुआ। जैसे की मांडा के समीप के क्षेत्र पम्पापुर के नाम से, वर्तमान का अमरावती क्षेत्र गिरिजापुर के नाम से तथा आसपास का क्षेत्र सप्त सागर के नाम से विख्यात हुआ।

17वीं शताब्दी में जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में तेज़ी से अपने पाँव पसार रही थी, कलकत्ता से लेकर दिल्ली तक कंपनी का कारोबार फैलता ही जा रहा था तब कंपनी के अफसरों को मध्य भारत में भी अपना व्यापार फ़ैलाने की आवश्यकता महसूस हुयी इसी सन्दर्भ अफसरों ने गंगा के रास्ते में पड़ने वाले लगभग सभी नगरीय क्षेत्रों का गहन अध्ययन किया। तमाम क्षेत्रों में विंध्याचल एवं गंगा की बाँहों में फैला विंध्यक्षेत्र अंग्रेजी अफसरों को भा गया। 1735 ईसवी में लार्ड मर्क्यूरियस वेलेस्ले नाम के एक अँगरेज़ अफसर ने इस क्षेत्र की स्थापना मिर्ज़ापुर नाम से की।

मिर्ज़ा शब्द अंग्रेजी शब्दकोष में 1595 ईसवी से जुड़ा जिसका शाब्दिक अर्थ है "राजाओ का क्षेत्र" इस शब्द की व्युत्पत्ति अमीर एवं ज़ाद को मिलाकर बनाए शब्द अमीरजादा से हुयी। पर्शिया में अमीरजादा के लिए एक शब्द मोरजा भी है। अतः अंग्रेज़ों ने अपने क्षेत्र विस्तार के समय मिर्ज़ा शब्द को उपाधि की तरह उपयोग किया तथा क्षेत्र का नाम "मिर्ज़ापुर" रख जिसका अर्थ हुआ राजाओ का क्षेत्र।

कुछ स्थानों पर अपभ्रंश के रूप में "मीरजापुर" नाम भी चलन में है।